Saturday, December 30, 2017

7 दिनों में कम करें 7 किलो वजन: डाइट टिप्‍स

क्‍या आपको 7 दिनों में 7 किलो वजन घटाना है? हो सकता है कि आपको यह बात थोड़ी अजीब लगे लेकिन हम आपको पूरा भरोसा दिलाते हैं कि यदि आपने इस डाइट को 7 दिनों तक अच्‍छे से अपना लिया तो आप 7 किलो तक वजन घटा लेगें। इस नए साल के उपलक्ष में कई लोगों ने यही सकंल्‍प लिया होगा कि वे अपना वजन घटा लेगें, पर बहुत से लोगों के लिये यह करना बड़ा ही मुश्‍किल होता है। एक बात का खास ख्‍याल रखिये कि वजन घटाने में डाइट का बहुत अहम रोल होता है।

हमारा 70 प्रतिशत वजन केवल डाइट से ही कंट्रोल किया जा सकता है। बाकी का वजन आप थोड़ी सी एक्‍सरसाइज कर के कम कर सकते हैं। एक हफ्ते में 7 दिन होते हैं और इन सातो दिन अगर आप अपनी डाइट पर ध्‍यान देगें तो आप जरुर पतले हो जाएंगे। तो चलिये आइये जानते हैं इन 7 दिनों की डाइट कैसी होनी चाहिये। 

पहला दिन 

यह हमारी डाइट का सबसे जरुरी दिन है। इसकी शुरुआत कुछ हेल्‍दी और हल्‍के आहार से होनी चाहिये, जिसमें केवल फ्रूट्स और फ्रूट्स ही होने चाहिये। आपको दिनभर में फल के अलावा कोइ और चीज नहीं खानी है। फलों में केवल केला छोड़ कर बाकी सारे फल खा सकते हैं। इसके अलावा खूब सारा पानी पियें। 

दूसरा दिन

अगर आपको अपना वजन कम करना है तो आप दूसरे दिन सब्‍जियों का ही सेवन करें। आप चाहें तो सब्‍जियों का सलाद बनाएं या फिर उसे उबाल लें। इससे जल्‍द ही वजन कम होगा। सब्‍जियों के रूप में आप आलू का भी सूवन कर सकती हैं, लेकिन वह उबला होना चाहिये। 

तीसरा दिन 

तीसरे दिन आप सब्‍जियों के साथ फल भी शामिल कर सकते हैं। अगर आपको 7 किलो 7 दिनों में कम करना हो तो दिन की शुरुआत फलों से करें, उसके बाद लंच में सब्‍जियों का सलाद और डिनर में फल या सब्‍जी चाहे जो खाएं। तीसरे दिन आलू और केले को ना शामिल करें। 

चौथा दिन 

इस दिन आपको केवल केला और दूध ही खाना होगा। आप स्‍मूदी या मिल्‍क शेक का सेवन करें। दूध स्‍किम होना चाहिये नहीं तो फैट बढेगा। 

पांचवा दिन 

इस दिन आप 1 कप उबला चावल खाएं। इस दिन आपको दिनभर में कम से कम 7 टमाटरों का सेवन करना चाहिये। डिनर के समय राइस ना खा कर टमाटर कर सेवन करें। पानी की मात्रा 12 गिलास से 15 गिलास बढा दें। 

छठवां दिन 

दिन भर में आपको सब्‍जियों का सेवन करते रहना है। साथ में लंच के समय आप राइस खा सकते हैं। 

सांतवे दिन 

इस दिन भी आप एक कप उबले चावल का सेवन कर सकती हैं। इस दौरान आप अपने मन पसंद फल और सब्‍जियां ले सकती हैं। दिनभर में फ्रूट जूस पीती रहें।

Wednesday, November 15, 2017

सर्दियों में जरूर खाने चाहिए तिल, ये हैं कुछ खास कारण

सर्दियों में जरूर खाने चाहिए तिल, ये हैं कुछ खास कारण


हमारे भारत में हर मौसम में खान-पान से जुड़ी कुछ परंपराएं है जिन्हें हम निभाते भी आ रहे हैं पर पता नहीं है कि क्यों? ऐसी ही एक परंपरा है ठंड में तिल के सेवन की। हमारे यहां सर्दियों में तिल का उपयोग कई तरह से किया जाता है। दरअसल तिल के ये छोटे-छोटे दाने सेहत से भरपूर हैं। इसलिए तिल का प्रयोग घी व गुड़ के साथ करने से वर्षभर कई तरह के रोग दूर रहते हैं। साथ ही घर में बनी तिल पट्टी व बिजौरे भी शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

- यदि किसी को बार-बार यूरिन आने या खुलकर यूरिन न आने की समस्या है तो उसे पांच ग्राम तिल और पांच ग्राम गौखरू का काढा बनाकर दें। आराम मिलेगा। तिल के तेल में नीम की पत्तियां डालें। इस तेल की मालिश से मुंहासे व चर्म रोग से निजात मिलती है। तिल के तेल से कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है।

- तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्व पाए जाते हैं। तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नही होती।

- तनाव आज की भाग-दौड़ भरी जीवन शैली का हिस्सा बन गया है लेकिन तिल के रोजांना इस्तेमाल से तनाव भी कम होता है। और साथ शरीर को हल्का महसूस होता है। तिल थकान और अनिद्रा जैसी कई छोटी-छोटी बीमारियों से निजात दिलाता है। और शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।


- तिल में एक खास तरह का एंटीऑक्सिडेंट होता है,जो कैंसर को जन्म देने वाले फ्री रैडिकल्स से छुटकारा दिलवाने में मदद करता है। इसके अलावा यह शरीर में फैटी एसिड्स के निर्माण को कम करता है जिससे वजन बढऩे का खतरा कम हो जाता है। तिल के तेल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के ब्यूटी ट्रीटमेंट्स में किया जाता है।तेल से त्वचा स्वस्थ होती है और बाल भी मजबुत होते है। इसके अलावा तिल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से आखों के नीचे पडऩे वाले काले घेरों से छुटकारा मिलता है।

- पाचन शक्ति बढ़ाने के लिये भी तिल का उपयोग किया जाता है। इसके लिए समान मात्रा में बादाम, मुनक्का, पीपल, नारियल की गिरी और मावा अच्छी तरह से मिला लें, फि र इस मिश्रण के बराबर तिल लेकर उसे भी कूट पीसकर इसी मिश्रण में मिला लें अब इस मिश्रण में आवश्यकतानुसार मिश्री मिला लें। सुबह-सुबह खाली पेट इस मिश्रण का सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है।





सर्दियों में जरूर खाने चाहिए तिल, ये हैं कुछ खास कारण

सर्दियों में जरूर खाने चाहिए तिल, ये हैं कुछ खास कारण


हमारे भारत में हर मौसम में खान-पान से जुड़ी कुछ परंपराएं है जिन्हें हम निभाते भी आ रहे हैं पर पता नहीं है कि क्यों? ऐसी ही एक परंपरा है ठंड में तिल के सेवन की। हमारे यहां सर्दियों में तिल का उपयोग कई तरह से किया जाता है। दरअसल तिल के ये छोटे-छोटे दाने सेहत से भरपूर हैं। इसलिए तिल का प्रयोग घी व गुड़ के साथ करने से वर्षभर कई तरह के रोग दूर रहते हैं। साथ ही घर में बनी तिल पट्टी व बिजौरे भी शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

- यदि किसी को बार-बार यूरिन आने या खुलकर यूरिन न आने की समस्या है तो उसे पांच ग्राम तिल और पांच ग्राम गौखरू का काढा बनाकर दें। आराम मिलेगा। तिल के तेल में नीम की पत्तियां डालें। इस तेल की मालिश से मुंहासे व चर्म रोग से निजात मिलती है। तिल के तेल से कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है।

- तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्व पाए जाते हैं। तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नही होती।

- तनाव आज की भाग-दौड़ भरी जीवन शैली का हिस्सा बन गया है लेकिन तिल के रोजांना इस्तेमाल से तनाव भी कम होता है। और साथ शरीर को हल्का महसूस होता है। तिल थकान और अनिद्रा जैसी कई छोटी-छोटी बीमारियों से निजात दिलाता है। और शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।


- तिल में एक खास तरह का एंटीऑक्सिडेंट होता है,जो कैंसर को जन्म देने वाले फ्री रैडिकल्स से छुटकारा दिलवाने में मदद करता है। इसके अलावा यह शरीर में फैटी एसिड्स के निर्माण को कम करता है जिससे वजन बढऩे का खतरा कम हो जाता है। तिल के तेल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के ब्यूटी ट्रीटमेंट्स में किया जाता है।तेल से त्वचा स्वस्थ होती है और बाल भी मजबुत होते है। इसके अलावा तिल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से आखों के नीचे पडऩे वाले काले घेरों से छुटकारा मिलता है।

- पाचन शक्ति बढ़ाने के लिये भी तिल का उपयोग किया जाता है। इसके लिए समान मात्रा में बादाम, मुनक्का, पीपल, नारियल की गिरी और मावा अच्छी तरह से मिला लें, फि र इस मिश्रण के बराबर तिल लेकर उसे भी कूट पीसकर इसी मिश्रण में मिला लें अब इस मिश्रण में आवश्यकतानुसार मिश्री मिला लें। सुबह-सुबह खाली पेट इस मिश्रण का सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

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Tuesday, October 31, 2017

माइग्रेन पर नियंत्रण पाना


माइग्रेन या आधासीसी का दर्द मधुमेह तथा दमे की बीमारी से भी ज्यादा पाया जाता है परंतु चालीस लाख भारतीयों में से सिर्फ दो प्रतिशत ही ऐसे हैं जो इस रोग का पूर्ण रूप से इलाज करवाते हैं। पुरुषों की तुलना में माइग्रेन महिलाओं को ज्यादा होता है। कुछ अध्ययन दर्शाते हैं कि प्रत्येक चार में से एक गर्भवती महिला इसका शिकार बनती है। अध्ययन में यह भी पता चला कि पुरुष तो इसका इलाज कराने को तत्पर रहते हैं परंतु महिलाएं ऐसा नहीं करतीं। वे या तो इस दर्द को झेलती रहती हैं या फिर दर्द निवारक गोलियों का सहारा लेकर इससे छुटकारा पा लेना चाहती हैं।
अध्ययन के मुताबिक बहुत से लोग इसे मानसिक अवस्था के कारण हुई शारीरिक परेशानी मानकर टालते रहते हैं और इसका इलाज कराने की जरूरत नहीं समझते परंतु आगे चलकर इससे कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। चिकित्सकों के अनुसार यह दर्द शरीर में सिरोटोनिन नामक कैमिकल के स्तर में बदलाव होने से उत्पन्न होता है जो रक्तवाहिनियों को प्रभावित करता है। 
जब सिरोटोनिन का स्तर ज्यादा होता है, रक्त वाहिनियों में द्वंद्व-सा छिड़ जाता है, जब वह स्तर कम होता है तो रक्त वाहिनियां फैल जाती हैं जो दर्द का कारण बनती हैं। सिरोटोनिन का स्तर कई बातों से प्रभावित होता है, जैसे नींद की कमी, तनाव व चिंता, अत्यधिक धूप में रहना, मसालेदार भोजन का सेवन, रैड वाइन व चाकलेटयुक्त पदार्थों का सेवन आदि। महिलाओं में यह एस्ट्रोजन नामक हार्मोन के स्तर में बदलाव आने से पैदा होता है। 
जीवनशैली में बदलाव लाने से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है परंतु अफसोस की बात यह है कि लोग दर्दनिवारक दवाइयों का लगातार सहारा लेते रहते हैं। डाक्टरों के मुताबिक दर्द निवारक दवाइयों का अधिक सेवन आगे चल कर गुर्दे की खराबी का कारण बन सकता है अत: जहां तक हो सके, दर्द निवारक गोलियां लेने से बचें तथा माइग्रेन का सही कारण पता लगाकर उसका इलाज कराएं। 

Sunday, October 1, 2017

भांग के औषधीय गुण


भांग का जिक्र जब भी कभी हम करते हैं तो सबसे पहले हमारे जेहन में आता है, इसका नशां। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भांग का पौधा उपयोगी भी है। जी हां, भांग का पौधा इतना उपयोगी है कि आप जानकर दंग रह जाएंगे।


1. भांग के पौधे से बने कपड़े।
अगर आपको कहें कि भांग के पौधे से कपड़े तैयार किए जाते हैं, तो क्या आप विश्वास करेंगे? यह सच है। इस कला का विकास ईसा से 8 हजार साल पहले चीनियों ने किया था। इन कपड़ों के बारे में कहा जाता है कि ये टिकाऊ और उम्दा गुणवत्ता के होते हैं। कालान्तर में चीनियों ने इससे बने कपड़ों का उपयोग फैशन के लिए शुरू किया। यही नहीं, भांग के पौधों से जूते और जीन्स भी तैयार किए जाते हैं।

2. खाद्य पदार्थ और पेय।
भांग के पौधों का एक तिहाई वजन उनके जड़ अथवा बीज में मौजूद तेल में होता है। बेहद पोषक इस तेल में फैटी एसिड की मौजूदगी इसे गुणकारी बना देती है। इसमें करीब 25 फीसदी से अधिक प्रोटीन होता है। साथ ही यह कैल्सियम और आयरन का भी स्त्रोत है। इसमें अखरोट से कहीं ज्यादा ओमेगा-3 की मौजूदगी होती है। यही वजह है कि इस तेल को पूरक आहार माना गया है। भांग का इस्तेमाल लोग आइस टी या बीयर में भी करते हैं। खास बात यह है कि भांग के पौधे से दूध भी प्राप्त होता है।

3. कागज।
करीब 2 हजार से इस पौधे का इस्तेमाल कागज बनाने के लिए होता रहा है। दुनिया में हो रहे कागज उत्पादन में महज 0.05% हिस्सा भांग के पौधे से प्राप्त होता है। इसका उत्पादन भले ही कम हो, लेकिन इस कागज की खासियत यह है कि रिन्यूबल होता है। यह अलग बात है कि भांग के पौधे से कागज बनाने में खर्च बहुत अधिक होता है। जी हां, लकड़ी से कई गुना अधिक। लेकिन यह पर्यावरण के अनुकूल है।

4. बिल्डिंग मैटेरियल।
कपड़ा, खाद्य पदार्थ या कागज ही नहीं, भांग के पौधे से बिल्डिंग मैटेरियल भी बनाए जाते हैं। नीदरलैन्ड और आयरलैन्ड में कम्पनियां इन पौधों से बिल्डिंग मैटेरियल जैसे फाइबर बोर्ड, प्रेस बोर्ड और हेम्पक्रीट जैसे प्रोडक्ट्स का उत्पादन करती हैं। इनकी खासियत यह है कि ये मजबूत, टिकाऊ और हल्के होते हैं। ये पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हैं और कंक्रीट का स्थान ले सकने में सक्षम हैं।

5. प्लास्टिक।
प्लास्टिक उत्पादन में भांग के पौधों का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। 40 के दशक में कार निर्माता कम्पनी फोर्ड ने भांग के पौधे से बनी प्लास्टिक से एक प्रोटोटाइप कार बनाने में सफलता हासिल की थी। हालांकि इस कार को कभी बाजार के लिए नहीं बनाया गया। यहां मौजूद फोटो में हेनरी फोर्ड इस कार पर कुल्हाड़ी से वार करते दिखाई पड़ रहे हैं। जी हां, यह बताने की कोशिश हो रही है कि ये बेहद मजबूत है। हाल के दिनों में इन पौधों का इस्तेमाल सीडी और डीवीडी केस और अन्य तरह के उत्पाद बनाने के लिए भी हो रहा है।

6. ईन्धन।
लीजिए, भांग से आप ईन्धन भी बना सकते हैं। जी हां, बायोफ्युल। इस पौधे के जड़ और बीज में मौजूद तेल से बायोडीजल बनाया जा सकता है। दुर्भाग्य से यह पौधा इतना कुख्यात है कि इस योजना पर कोई भी देश या प्रशासन ठीक से अमल नहीं कर रहा।

7. रसायनिक सफाई।
मिट्टी में मौजूद जहरीले रसायनों की सफाई के लिए भी भांग का इस्तेमाल होता है। 90 के दशक में युक्रेन के चेर्नोबिल में हुए परमाणु हादसे के बाद इलाके में मिट्टी की सफाई के लिए भांग का इस्तेमाल किया गया था

अक्सर होली के दौरान एक विनम्रता के रूप में खपत होती है, यह आपको आश्चर्यचकित करती है कि सन बीजों (भाव के बीज) दुनिया भर में उनके औषधीय उपयोगों और स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। भांग बीज से बना तेल (CBD OIL)का उपयोग सदियों से वापस की जाती है। इन बीजों से तेल चीन में एक औषधि (रेचक) के रूप में इस्तेमाल किया गया था बीज अपने महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शरीर द्वारा आवश्यक सभी आवश्यक विटामिन और खनिजों के साथ पैक किया जाता है।

पोषण संबंधी शख्सियत

गांजा के बीज खनिजों से भरे हुए हैं जैसे कि फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, सल्फर, कैल्शियम, लौह और जस्ताविटामिन जैसे विटामिन , बीएक्सयुएक्सएक्स, बीएक्सयूएनएक्सएक्स, डी और उच्च गुणवत्ता पचाने योग्य प्रोटीन। वे सभी के साथ समृद्ध हैं 20 एमिनो एसिड (9 आवश्यक अमीनो एसिड जिसमें मानव शरीर द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पादित नहीं हैं) शामिल हैं। उन्होंने यह भी पाया गया है सबसे अमीर संयंत्र स्रोत फैटी एसिड की तरह ओमेगा 3 और ओमेगा 6, आश्चर्य की बात है कि सन बीज में मौजूद है।

हेप बीजों के स्वास्थ्य लाभ

1 हृदय रोग का जोखिम कम करें

गांजा के बीज आर्गिनिन और लिनोलेनिक एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो सीधे से जुड़े होते हैं हृदय रोगों के खतरे में कमी। गांजा के बीज या सन बीज का तेल रक्तचाप को कम करने, रक्त के थक्के के गठन का खतरा कम करने और दिल के दौरे के बाद ठीक होने में मदद करता है।

2 पाचन में सहायता

फाइबर में उच्च होने के कारण, दोनों घुलनशील (20%) और अघुलनशील (80%), ये बीज सहायता पाचन और आंत्र आंदोलनों को नियमित रूप से रखें। अघुलनशील फाइबर मल को बल्क कहते हैं और रेचक के रूप में कार्य करते हैं। भांग बीज से बना तेल (CBD OIL)के खोल में अधिकांश फाइबर होते हैं इसलिए, खोल के साथ उन्हें भस्म करना सबसे अच्छा है



3 प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना

बीज ग्लोबुलिन और ओमेगा- एक्सएक्सएक्स फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है, और इम्युनोग्लोबुलिन युक्त शरीर प्रदान करते हैं जो रोगी एंटीबॉडी से लड़ते हैं। ओमेगा-एक्सएक्सएक्सएक्स फैटी एसिड शरीर में सूजन से लड़ने में मदद करता है।

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4 शाकाहारियों के लिए उत्कृष्ट

बीज अमीनो एसिड जैसे कि मेथियोनीन, सिस्टीन, आर्गिनिन और ग्लूटामिक एसिड के साथ पैक किया जाता है, और प्रोटीन का पूरा स्रोत के रूप में काम करता है। प्रकृति में अत्यधिक पौष्टिक, ये बीज अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। सन बीज के दो बड़े चम्मच लगभग 7-11 ग्राम प्रोटीन होते हैं (प्रोटीन के बराबर दो अंडे) इसलिए बीज vegans और शाकाहारियों के लिए एक उत्कृष्ट पौधे protien विकल्प के रूप में कार्य करता है।

5 गठिया दर्द कम करें

गठिया तेल कैप्सूल गठिया दर्द के साथ लोगों में दीर्घावधि उपयोग के लिए सिफारिश की तेलों में से हैं। तेल जोड़ों के दर्द को कम करता है और कठोर जोड़ों को चिकना कर देता है। इसे खाना पकाने में इस्तेमाल किया जा सकता है या सीधे उपयोग किया जा सकता है

6 लोअर कोलेस्ट्रॉल

गांजा के बीज स्वाभाविक रूप से होने वाली पौधे sterols (phytosterols) होते हैं। ये स्टेरोल इनके प्रभाव में पाए गए हैं कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करना.

7 त्वचा विकारों का इलाज करें

गांठ तेल त्वचा विकारों जैसे कि छालरोग और एक्जिमा के लिए फायदेमंद पाया जाता है तेल त्वचा परतों में प्रवेश करती है और उसके बाद स्वस्थ सेल विकास को बढ़ावा देता है। विटामिन का एक समृद्ध स्रोत, कॉस्मेटिक उत्पादों जैसे ओठ बाम, लोशन और साबुन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

डायट में हेमप बीजों को शामिल करने के तरीके

- सलाद, दही या दलिया के लिए ड्रेसिंग के रूप में बीज का कच्चा उपयोग किया जा सकता है।

- उन्हें पकाया या भुनाया जा सकता है आप नाश्ता अनाज पर उन्हें छिड़क सकते हैं या उन्हें अपने चटनी में जोड़ सकते हैं।

- बीज भी तेल के लिए दबाया जा सकता है और भस्म हो सकता है।


-जब एक रेचक के रूप में प्रयोग किया जाता है, बाहरी शेल के साथ उन्हें भस्म करना सबसे अच्छा है, क्योंकि फाइबर में यह उच्च है।