Monday, December 30, 2013

आंसुओं के मोल 


हम यह भी क्यों भूलें कि हँसकर यदि मनुष्य दूसरों की सुख-वृद्धि करता है,तो रोकर वह दूसरों के दुःख बाँट लेता है.आंसू की सबसे बड़ी विशेषता उसका कल्याणकारी रूप है.वह मनुष्य को अकर्मण्य नहीं बनाता.वेदना से निःसृत आँसुओं की तरलता,अंतर्ज्वाला को शांत कर जीवन को प्रकाश देती है.इसलिए महाकवि जयशंकर प्रसाद ने ‘आंसू’ में विश्वबंधुत्व के दर्शन किये हैं,और यही आंसू कवि के जीवन की मूल प्रेरणा है..........

जो घनीभूत पीड़ा थी
मस्तक में स्मृति-सी छायी
दुर्दिन में आंसू बनकर
वह आज बरसने आयी
सबका निचोड़ लेकर तुम
सुख से सूखे जीवन में
बरसो प्रभात हिमकण-सा
आंसू इस विश्व-सदन में

३१.१२.२०१३ 

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