36 Y36 Years of GODWILL and HONESTYear36 Year 37
37 Years GODWILL and Hand HONESTY
Patients के कष्ट
में कहीं
हमारे पुण्य न हों जाएँ नष्ट
वह life बहुत बदकिस्मत होती है , जो कर्म को धर्म से अलग समझते हुए , अपने इस लोक और परलोक , दोनों को ही नष्ट कर देती है ! थोडा सा भी common sense apply करने से विदित हो जाता है कि धर्म means पवित्रता , है ही इसलिए कि हमारे कर्म शुभ: हों !
शुद्ध मन होगा , तभी शुभ:कर्म होंगें !
और then only- शुभ:लाभ की अपेक्षा कर सकते हैं ! सुबह पूजा-इबादत कर लें और दिन भर गरीबों बीमारों के दुःख में से अपने सुख की percentage नापते रहें तब क्या लाभ कभी शुभ हो सकता है ?
लाभ-लोभ से आता है ! शुभ-लाभ -शुद्ध मन सेआता है !
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